मंगल भवन अमंगलहारी
द्रवहु सो दशरथ अजर बिहारी
राम सिया राम सिया राम जय जय राम
हरी अनंत हरी कथा अनंता
कहाही सुनाही बहु विधि सब संता
राम सिया राम सिया राम जय जय राम
भीड़ पड़ी जब भक्त पुकारे
दूर करो प्रभु दुःख हमारे
दशरथ के घर जन्मे राम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम ...........(1)
विश्वामित्र मुनीश्वर आये
दशरथ भूप से वचन सुनाये
संग में भेजे लक्ष्मण राम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम ...........(2)
वन में जाये ताड़का मारी
चरण छुए अहिल्या तारी
ऋषियों के दुःख हरते राम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम .........(3)
जनकपुरी रघुनन्दन आये
नगर निवासी दर्शन पाए
सीता के मन भाये राम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम .........(4)
रघुनन्दन ने धनुष चढाया
सब रजो का मान घटाया
सीता ने वर पाए राम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम ..........(5)
परशुराम क्रोधित हो आये
दुष्ट भूप मन में हर्षाये
जनक राय ने किया प्रणाम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम ..........(6)
बोले लखन सुनो मुनि ज्ञानी
संत नहीं होते अभिमानी
मीठी वाणी बोले राम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम ..........(7)
लक्ष्मण वचन ध्यान मत दीजो
जो कुछ दंड दास को दीजो
धनुष तुड़इया मैं हु राम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम .........(8)
लेकर के यह धनुष चढाओ
अपनी शक्ति मुझे दिखाओ
चुअत चाप चढ़ाये राम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम ........(9)
हुई उर्मिला लखन की नारी
श्रुतिकीर्ति रिपुसुधन पियारी
हुई मांडवी भरत के वाम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम .......(10)
अवधपुरी रघुनन्दन आये
घर घर नारी मंगल गाये
बारह वर्ष बिताये राम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम ......(11)
गुरु वशिष्ट से आज्ञा लीनी
राजतिलक तैयारी कीनी
कलको होंगे राजा राम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम ......(12)
कुटिल मंथरा ने बहकाई
कैकई ने यह बात सुनायी
दे दो मेरे दो वरदान
राम सिया राम सिया राम जय जय राम......(13)
मेरी विनती तुम सुन लीजो
भरत पुत्र को गद्दी दीजो
होत प्रातः वन भेजो राम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम.....(14)
धरनी गिरे भूप तत्काल
लागा दिल में शूल विशाला
तब सुमंत बुलवाए राम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम......(15)
राम पिता को शीश नवाए
मुख से वचन कहा नहीं जाए
कैकई वचन सुनायो राम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम...........(16)
राजा के तुम प्राण पियारे
इनके दुःख हरोगे सारे
अब तुम वन में जाओ राम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम.........(17)
वन में चौदह वर्ष बिताओ
रघुकुल रीती निति अपनाओ
आगे इच्छा तेरी राम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम......(18)
सुनत वचन राघव हर्षाये
माताजी के मंदिर आये
चरण कमल में किया प्रणाम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम...........(19)
माताजी मैं तो वन जाऊं
चौदह वर्ष बाद फिर आऊँ
चरण कमल देखू सुख धाम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम.......(20)
सुनी शूल सम जब यह बानी
भू पर गिरी कौशल्या रानी
धीरज बंधा रहे श्री राम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम .......(21)
सीताजी जब यह सुन पाई
रंगमहल से नीचे आयी
कौशल्या को किया प्रणाम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम.......(22)
मेरी चूक क्षमा कर दीजो
वन जाने की आज्ञा दीजो
सीता को समझाते राम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम......(23)
मेरी सीख सिया सुन लीजो
सास ससुर की सेवा कीजो
मुझको भी होगा विश्राम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम......(24)
मेरा दोष बता प्रभु दीजो
संग मुझे सेवा में लीजो
अर्धांगिनी तुम्हारी राम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम.......(25)
समाचार सुनि लक्ष्मण आये
धनुष बाण संग परम सुहाए
बोले संग चलूँगा राम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम.......(26)
राम लखन मिथिलेश कुमारी
वन जाने की करी तैयारी
रथ में बैठ गए सुखधाम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम........(27)
अवधपुरी के सब नर नारी
समाचार सुनि व्याकुल भारी
मचा अवध में अति कोहराम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम........(28)
श्रीन्घ्वेरपुर रघुवर आये
रथ को अवधपुरी लोटाये
गंगा तट पर आये राम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम........(29)
केवट कहे चरण धुलवाओ
पीछे नौका में चढ़ जाओ
पत्थर कर दी नारी राम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम........(30)
लाया एक कठोरा पानी
चरण कमल धोये सुख मानी
नाव चढ़ाये लक्ष्मण राम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम........(31)
उतराई में मुद्रि दिनी
केवट ने यह बिनती किनी
उतराई नहीं लूँगा राम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम........(32)
तुम आये हम घाट उतारे
हम आएंगे घाट तुम्हारे
तब तुम पार लगईयो राम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम.........(33)
भारद्वाज आश्रम पर आये
रामलखन ने शीश नवाए
एक रत कीन्हा विश्राम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम.........(34)
भाई भरत अयोध्या आये
कैकई को कटु वचन सुनाये
क्यूँ तुमने वन भेजे राम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम..........(35)
चित्रकूट रघुनन्दन आये
वन को देख सिया सुख पाए
मिले भरत से भाई राम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम.........(36)
अवधपुरी को चलिए भाई
यह सब कैकई की कुटिलाई
तनिक दोष नहीं मेरा राम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम.........(37)
चरण पादुका तुम ले जाओ
पूजा कर दर्शन फल पावो
भरत को कंठ लगाये राम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम.........(38)
आगे चले राम रघुराया
निशाचरों का वंश मिटाया
ऋषियों के हुए पूरण काम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम.........(39)
अनसुइया की कुटिया आये
दिव्य वस्त्र सिया माँ ने पाए
था मुनि अत्री का वह धाम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम..........(40)
मुनिस्थान आये रघुराई
शूर्पनखा की नाक कटाई
खरदूषण को मारे राम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम..........(41)
पंचवटी रघुनन्दन आये
कनक मृग मारीच संग धाये
लक्ष्मण तुम्हे बुलाते राम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम..........(42)
रावण साधू वेश में आया
भूख ने मुझको बहुत सताया
भिक्षा दो यह धर्म का काम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम..........(43)
भिक्षा लेकर सीता आई
हाथ पकड़ रथ में बैठाई
सूनी कुटिया देखि राम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम............(44)
धरनी गिरे राम रघुराई
सीता के बिन व्यकुलताई
हे प्रिये साईट चीखे राम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम............(45)
लक्ष्मण सीता छोड़ नहीं आते
जनक दुलारी नहीं गवाते
बने बनाये बिगड़े काम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम.............(46)
कोमल बदन सुहासिनी सीते
तुम बिन व्यर्थ रहेंगे जीते
लगे चांदनी जैसे गाम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम.............(47)
सुनरी मैना सुन रे तोता
मैं भी पंखो वाला होता
वन वन लेता ढूंढ़ तमाम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम.............(48)
श्यामा हिरणी तू ही बतादे
जनक नंदिनी मुझे मिला दे
तेरे जैसी आँखें श्याम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम.............(49)
वन वन ढूंढ़ रहे रघुराई
जनक दुलारी कही न पाई
गिद्धराज ने किया प्रणाम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम.............(50)
चख चख कर फल शबरी लायी
प्रेम सहित खाए रघुराई
ऐसे मीठे नहीं है आम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम..............(51)
विप्र रूप धरी हनुमत आये
चरण कमल में शीश नवाए
कंधे पर बैठाये राम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम.............(52)
सुग्रीव से करी मिलाई
अपनी सारी कथा सुनाई
बाली पहुचाया निज धाम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम...............(53)
सिंघासन सुग्रीव बिठाया
मन में वह अति हर्षाया
वर्षा ऋतू आयी है राम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम............(54)
हे भाई लक्ष्मण तुम जाओ
वानारपति को यूँ समझाओ
सीता बिन व्याकुल है राम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम...........(55)
देश देश वानर भिजवाये
सागर के तट पर सब आये
सहते भूख प्यास और घाम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम............(56)
सम्पाती ने पता बताया
सीता को रावण ले आया
सागर कूद गए हनुमान
राम सिया राम सिया राम जय जय राम............(57)
कोने कोने पता लगाया
भगत विभीषण का घर आया
हनुमान ने किया प्रणाम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम...........(58)
अशोक वाटिका हनुमत आये
वृक्ष तले सीता को पाए
आंसू बरसे आठो याम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम..........(59)
रावण संग निशाचर लाके
सीता को बोला समझाके
मेरी ओर तो देखो भाम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम..........(60)
मंदोदरी बनादू दासी
सब सेवा में लंका वासी
करो भवन चलकर विश्राम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम...........(61)
चाहे मस्तक कटे हमारा
मैं नहीं देखू बदन तुम्हारा
मेरे तन मनं धन है राम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम...........(62)
ऊपर से मुद्रिका गिराई
सीताजी ने कंठ लगाई
हनुमान ने किया प्रणाम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम..........(63)
मुझको भेजा है रघुराया
सागर कूद यंहा मैं आया
मैं हु रामदास हनुमान
राम सिया राम सिया राम जय जय राम.........(64)
भूख लगी फल खाना चाहू
जो माता की आज्ञा पाऊ
सब के स्वामी है श्री राम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम..........(65)
सावधान होकर फल खाना
रखवालो को भूल न जाना
निशाचरों का है यह धाम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम..........(66)
श्री हनुमत ने वृक्ष उखाड़े
देख देख माली ललकारे
मार मार पहुचाया धाम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम..........(67)
अक्षयकुमार को स्वर्ग पहुचाया
इन्द्रजीत फँसी ले आया
ब्रह्म फ़ास में बंधे हनुमान
राम सिया राम सिया राम जय जय राम..........(68)
सीता को तुम लोटा दीजो
उनसे क्षमा याचना कीजो
तीन लोक के स्वामी राम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम..........(69)
भगत विभीषण ने समझाया
रावण ने उसको धमकाया
सन्मुख देख रहे हनुमान
राम सिया राम सिया राम जय जय राम..........(70)
रुई तेल ग्रित बसन मंगाई
पूँछ बांध कर आग लगाई
पूँछ घुमाई है हनुमान
राम सिया राम सिया राम जय जय राम..........(71)
सब लंका में आग लगाई
सागर में जा पूँछ बुझाई
ह्रदय कमल में राखे राम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम.........(72)
सागर कूद लौट कर आये
समाचार रघुवर ने पाए
जो माँगा सो दिया इनाम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम.........(73)
वानर रीछ संग में लाये
लक्ष्मण सहित सिन्धु तट आये
लगे सुखाने सागर राम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम.........(74)
सेतु कपि नल नील बनावे
राम राम लिख शिला तैरावे
लंका पहुंचे राजा राम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम.........(75)
अंगद चल लंका में आया
सभा बीच में पाँव जमाया
बाली पुत्र महा बलधाम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम..........(76)
रावण पाँव हटाने आया
अंगद ने फिर पाँव उठाया
क्षमा करे तुझको श्री राम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम..........(77)
निशाचरों की सेना आयी
गरज गरज कर हुई लड़ाई
वानर बोले जय सिया राम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम..........(78)
इन्द्रजीत ने शक्ति चलाई
धरनी गिरे लखन मुरझाई
चिंता करके रोये राम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम...........(79)
जब मै अवधपुरी से आया
हाय पिता ने प्राण गवाया
वन में गई चुराई भाम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम..........(80)
भाई तुमने भी छित्काया
जीवन में कुछ सुख नहीं पाया
सेना में भारी कोहराम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम...........(81)
जो संजीवनी बूटी लाये
तो भाई जीवित हो जाए
बूटी लायेगा हनुमान
राम सिया राम सिया राम जय जय राम...........(82)
जब बूटी का पता न पाया
पर्वत ही लेकर के आया
कालनेम पहुचाया धाम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम...........(83)
भक्त भरत ने बाण चलाया
चोट लगी हनुमत लंग्ड़या
मुख से बोले जय सिया राम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम...........(84)
बोले भरत बहुत पछताकर
पर्वत सहित बाण बैठाकर
तुम्हे मिलादु राजा राम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम...........(85)
बूटी लेकर हनुमत आया
लखन लाल उठ शीश नवाया
हनुमत कंठ लगाये राम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम............(86)
कुम्भकरण उठकर तब आया
एक बाण से उसे गिराया
इन्द्रजीत पहुचाया धाम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम............(87)
दुर्गा पूजन रावण कीन्हो
नौ दिन तक आहार न लीनो
आसन बैठ किया है ध्यान
राम सिया राम सिया राम जय जय राम............(88)
रावण का व्रत खंडित किना
परम धाम पंहुचा ही दीना
वानर बोले जय सिया राम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम............(89)
सीता ने हरी दर्शन किना
चिंता शोक सभी तज दीना
हंसकर बोले राजा राम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम.............(90)
पहले अग्निपरीक्षा पाओ
पीछे निकट हमारे आओ
तुम हो पतिव्रता है भाम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम............(91)
करी परीक्षा कंठ लगाई
सब वानर सेना हर्षाई
राज विभीषण दीना राम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम...........(92)
फिर पुष्पक विमान मंगाया
सीता सहित बैठे रघुराया
दंडक वन में उतरे राम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम..........(93)
ऋषिवर सुन दर्शन को आये
स्तुति कर वो मनं में हर्षाये
तब गंगा तट आये राम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम.........(94)
नंदीग्राम पवन सुत आये
भगत भरत को वचन सुनाये
लंका से आये है राम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम...........(95)
कहो विप्र तुम कहा से आये
ऐसे मीठे वचन सुनाये
मुझे मिला दो भैया राम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम...........(96)
अवधपुरी रघुनन्दन आये
मंदिर मंदिर मंगल छाए
माताओ को किया प्रणाम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम...........(97)
भाई भरत को गले लगाया
सिंघासन बैठे रघुराया
जग में कहा है राजा राम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम............(98)
सब भूमि विप्रो को दीनी
विप्रो ने वापस दे दीनी
हम तो भजन करेंगे राम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम...........(99)
धोबी ने धोबन धम्काई
रामचंद्र ने यह सुन पायी
वन में सीता भेजी राम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम.............(100)
वाल्मीकि आश्रम में आयी
लव व् कुश हुए दो भाई
धीर वीर ज्ञानी बलवान
राम सिया राम सिया राम जय जय राम..........(101)
अश्वमेघ कीन्हा राम
सीता बिन सब सुने काम
लुव्कुश वहा लियो पहचान
राम सिया राम सिया राम जय जय राम.........(102)
सीता राम बिना अकुलाई
भूमि से यह विनय सुने
मुझको अब दीजो विश्राम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम.........(103)
सीता भूमि माई समाई
देख के चिंता की रघुराई
बार बार पछताए राम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम...........(104)
राम राज में सब सुख पावे
प्रेम मगन बोले हरी गुण गावे
दुःख कलेश का रहा न नाम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम..........(105)
ग्यारह हज़ार वर्ष परियानता
राज कीन्हा श्रीलक्ष्मीकांता
फिर वैकुण्ठ पधारे राम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम...........(106)
अवधपुरी वैकुण्ठ सिधाई
नरनारी सब ने गति पाई
शरणागत प्रतिपालक राम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम...........(107)
सब भक्तो ने लीला गाई
मेरी भी विनय सुनो रघुराई
भूलू नहीं तुम्हारा नाम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम..............(108)
जय श्री राम जय जय हनुमान :)
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